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कालसर्प दोष व्यक्ति के भाग्य पर भारी प्रभाव डालता है, जिससे कई अवसर हाथ से निकल जाते हैं। यह पूजा जीवन की रुकावटों को दूर कर सफलता के द्वार खोलती है और अनुकूल अवसरों को आकर्षित करती है।
यदि विवाह में विलंब हो रहा है, बार-बार रिश्ते टूट रहे हैं, या सही जीवनसाथी नहीं मिल रहा, तो यह पूजा विवाह योग को मजबूत बनाकर शीघ्र शुभ संयोग बनाती है। दाम्पत्य जीवन में प्रेम और सामंजस्य बढ़ता है।
संतान सुख में रुकावटों का मुख्य कारण कालसर्प दोष भी हो सकता है। यह पूजा संतान के योग को सशक्त बनाकर दंपतियों को संतान प्राप्ति का आशीर्वाद देती है और संतान संबंधी समस्याओं को समाप्त करती है।
कालसर्प दोष के प्रभाव से व्यक्ति का मन विचलित रहता है, चिंता और भय बढ़ जाता है। यह पूजा न केवल मानसिक शांति प्रदान करती है बल्कि आत्मबल को बढ़ाकर निर्णय लेने की क्षमता को भी सशक्त बनाती है।
यह पूजा नकारात्मक ऊर्जाओं को समाप्त कर व्यक्ति को आत्मरक्षा कवच प्रदान करती है। यदि शत्रुओं की साजिशें, बुरी नजर या टोना-टोटका प्रभावित कर रहा हो, तो यह पूजा इन सभी से सुरक्षा देकर जीवन में स्थिरता लाती है।
कालसर्प दोष तब उत्पन्न होता है जब जन्म कुंडली में सभी ग्रह राहु और केतु के बीच आ जाते हैं और शेष घर खाली रह जाते हैं। वैदिक ज्योतिष में इसे अशुभ माना गया है क्योंकि यह व्यक्ति के जीवन में कई रुकावटें, संघर्ष और अस्थिरता लाता है।
यह दोष विवाह, करियर, संतान सुख, आर्थिक स्थिति और स्वास्थ्य पर गहरा प्रभाव डालता है, जिससे जीवन में लगातार बाधाएँ बनी रहती हैं। कालसर्प दोष के बारह प्रकार होते हैं, जिनमें अनंत कालसर्प, कुलिक कालसर्प, वासुकी कालसर्प, शंखपाल कालसर्प, पद्म कालसर्प, महा पद्म कालसर्प, तक्षक कालसर्प, कर्कोटक कालसर्प, शंखचूड़ कालसर्प, घटक कालसर्प, विषधर कालसर्प और शेषनाग कालसर्प प्रमुख हैं।
इस दोष के निवारण के लिए विशेष रूप से राहु-केतु की पूजा की जाती है, जिसमें वैदिक मंत्रोच्चारण, हवन और अन्य विशेष अनुष्ठान शामिल होते हैं। इसके अतिरिक्त भगवान शिव की नियमित आराधना करना भी इस दोष को शांत करने में सहायक होता है। विशेष रूप से सोमवार को भगवान शिव की पूजा करने से कालसर्प दोष का प्रभाव कम किया जा सकता है।
उज्जैन, जो महाकाल की नगरी के रूप में प्रसिद्ध है, कालसर्प दोष निवारण पूजा के लिए एक अत्यंत पावन स्थान माना जाता है। शिप्रा नदी के तट पर स्थित यह शहर अपनी आध्यात्मिक शक्ति और सिद्ध साधना स्थलों के लिए प्रसिद्ध है। शास्त्रों के अनुसार, यहाँ किए गए अनुष्ठान का प्रभाव शीघ्र और अधिक प्रभावशाली होता है।
वाया वेदा के माध्यम से उज्जैन के पवित्र शिप्रा नदी तट पर अनुभवी वैदिक पंडितों द्वारा पूर्ण विधि-विधान से कालसर्प दोष निवारण पूजा करवाई जाती है। यह अनुष्ठान आपकी कुंडली के अनुसार संकल्प लेकर किया जाता है, जिससे राहु और केतु के अशुभ प्रभावों को संतुलित किया जा सके। इस पूजा में स्वस्ति वाचन, राहु-केतु यंत्र स्थापना, नवग्रह मंत्र जाप, विशेष हवन और तर्पण जैसे पवित्र कर्म शामिल होते हैं।
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उज्जैन, जिसे महाकाल की नगरी कहा जाता है, प्राचीन काल से ही आध्यात्मिक और ज्योतिषीय दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान रहा है। यह भारत के सात पवित्र मोक्षदायिनी नगरों में से एक है, जहाँ आध्यात्मिक उन्नति और विशेष पूजा-अनुष्ठानों का अत्यधिक महत्व है। उज्जैन का नाम इतिहास में कई युगों से धर्म, ज्ञान और ज्योतिष के केंद्र के रूप में प्रतिष्ठित रहा है।
शहर के हृदय में प्रवाहित होने वाली शिप्रा नदी न केवल एक जल स्रोत है, बल्कि यह धार्मिक, आध्यात्मिक और ज्योतिषीय अनुष्ठानों का पवित्र स्थल भी है। शास्त्रों के अनुसार, शिप्रा नदी का जल मोक्षदायी और पापों का नाश करने वाला माना जाता है। इस नदी का उल्लेख महाभारत और पुराणों में भी मिलता है, जहाँ इसे पुण्यदायिनी और अमृत तुल्य बताया गया है। हर 12 वर्ष में आयोजित सिंहस्थ कुंभ मेला भी इसी नदी के तट पर संपन्न होता है, जहाँ लाखों श्रद्धालु और संत स्नान कर मोक्ष की प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त करते हैं।
शिप्रा नदी के तट पर अनेक सिद्ध स्थान और मंदिर स्थित हैं, जहाँ विशेष रूप से कालसर्प दोष निवारण पूजा, महाकाल अनुष्ठान, नवग्रह शांति हवन, रुद्राभिषेक, पितृ तर्पण और अन्य महत्वपूर्ण वैदिक अनुष्ठान किए जाते हैं। यहाँ की ऊर्जा और आध्यात्मिक वातावरण इस स्थान को अत्यंत दिव्य और प्रभावशाली बनाते हैं।
यह स्थान राहु और केतु से संबंधित दोषों को शांत करने के लिए भी विशेष रूप से जाना जाता है। शास्त्रों के अनुसार, शिप्रा नदी के पवित्र तट पर किए गए अनुष्ठान शीघ्र फलदायी होते हैं और व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाते हैं।
यदि कोई व्यक्ति कालसर्प दोष, पितृ दोष, ग्रह बाधा या जीवन में निरंतर आ रही रुकावटों से पीड़ित है, तो शिप्रा नदी के तट पर संपन्न होने वाले विशेष वैदिक अनुष्ठान अत्यंत प्रभावशाली होते हैं। उज्जैन का आध्यात्मिक स्पंदन, शिप्रा नदी का पावन जल और वैदिक रीति-रिवाजों से संपन्न अनुष्ठान मिलकर व्यक्ति के जीवन में शांति, समृद्धि और सफलता का मार्ग प्रशस्त करते हैं।
आज भी, उज्जैन और शिप्रा नदी का यह पावन संगम अनगिनत श्रद्धालुओं को अपनी ओर आकर्षित करता है, जहाँ वे अपने कष्टों का निवारण कर, जीवन में सुख-समृद्धि और आत्मिक शांति प्राप्त करते हैं
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पूजा के दिन मानसिक और शारीरिक शुद्धता का ध्यान रखें, ब्रह्मचर्य का पालन करें और इष्टदेव का स्मरण करें। पूजा की प्रक्रिया के बारे में आपको पहले से सूचित किया जाएगा, और पूजा के बाद इसका रिकॉर्डेड वीडियो आपको भेजा जाएगा।
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चढ़ावा सेवा में आप भारत के प्राचीन मंदिरो, शक्तिपीठो में अपने नाम से चढ़ावा/ श्रृंगार/ भोग आदि अर्पित कर सकते है।