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साढ़ेसाती और ढैय्या के प्रकोप से मुक्ति पाने के लिए शनि शांति पूजा कराएं।
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4.3
शनि ग्रह की अशुभ दृष्टि जीवन में रुकावटें, निराशा और असफलता लाती है। यह पूजा शनि के प्रकोप को शांत कर साढ़ेसाती और ढैया के नकारात्मक प्रभावों को समाप्त करती है। पूजा के बाद जीवन में सकारात्मक बदलाव आते हैं, और लंबे समय से चल रही असफलताएं और बाधाएं दूर होती हैं। यह पूजा आपके जीवन को सही दिशा में आगे बढ़ाने का माध्यम बनती है।
धन की तंगी, कर्ज का बोझ, और खर्चों की अधिकता से जूझ रहे लोगों के लिए यह पूजा वरदान साबित होती है। शनि के अशुभ प्रभाव को शांत कर यह पूजा आर्थिक प्रवाह को सुगम बनाती है। पूजा के बाद व्यापार में वृद्धि, नौकरी में प्रमोशन और निवेश से लाभ मिलने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं। यह पूजा आपको आर्थिक स्थिरता और आत्मविश्वास देती है।
यदि आप करियर में रुकावटें या व्यापार में घाटे से परेशान हैं तो यह पूजा आपकी मेहनत को सही परिणाम में बदलने की शक्ति रखती है। शनि देव की कृपा से नौकरी में प्रमोशन, नई परियोजनाओं की स्वीकृति, और व्यापार में विस्तार के अवसर मिलते हैं। यह पूजा आपको करियर और व्यवसाय में तेजी से आगे बढ़ने में मदद करती है।
शनि देव आपके कर्मों का सटीक फल देते हैं। यह पूजा न केवल अशुभ कर्मों के प्रभाव को कम करती है, बल्कि शुभ परिणामों को बढ़ाती है। यह पूजा आपको बेहतर निर्णय लेने और सही दिशा में कार्य करने की प्रेरणा देती है। इसके परिणामस्वरूप, आप अपने जीवन में सकारात्मक बदलाव और निरंतर सफलता का अनुभव करते हैं।
कोकिलावन धाम में शनि देव की पूजा का विशेष महत्व है। जब जीवन में शनि की साढ़ेसाती, ढैय्या या अन्य कष्टकारी योग प्रभावी हों, तो विधिवत पूजा द्वारा इनका निवारण संभव है।
वायवेदा के माध्यम से आप अपने नाम और गोत्र से विशेष पूजा बुक कर सकते हैं। यह पूजा अनुभवी वैदिक ब्राह्मणों द्वारा कोकिलावन स्थित जागृत शनि मंदिर में सम्पन्न की जाती है।
पूजा में विशेष मंत्रोच्चारण, तेल अभिषेक, नीला पुष्प अर्पण, नवग्रह शांति यज्ञ आदि सम्मिलित होते हैं। यह पूजा शनि के प्रकोप को शांत कर जीवन में राहत और समाधान लाने में सहायक मानी जाती है।
भारत के उत्तर प्रदेश में मथुरा के पास कोसी कलां में प्रसिद्ध शनि देव मंदिर स्थित है जिसे कोकिलावन धाम कहा जाता है।यह मंदिर घने जंगलों में स्थित है। यही कारण है कि इसका नाम कोकिलावन है। यह शनि देव और उनके गुरु बरखंडी बाबा का बहुत प्राचीन मंदिर है। पूरे भारत से श्रद्धालु यहां पूजा करने आते हैं।
क्यों सिद्ध कहलाता है कोकिला वन का शनिदेव मंदिर:
द्वापरयुग में शनिदेव ने भगवान श्रीकृष्ण को प्रसन्न करने के लिए कड़ी तपस्या की थी। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर श्रीकृष्ण ने शनिदेव को कोयल के रूप में दर्शन दिए थे। श्रीकृष्ण ने कहा था कि नंदगांव से सटा कोकिला वन उनका वन है। जो व्यक्ति शनिदेव की पूजा और इस वन की परिक्रमा करेगा उसे मेरी और शनिदेव दोनों की ही कृपा प्राप्त होती है। यही कारण है कि कोकिलावन के शनिदेव मंदिर को सिद्ध मंदिर का दर्जा प्राप्त है। मंदिरों के अलावा यहां दो प्राचीन सरोवर और गोऊ शाळा भी स्थित हैं। कोकिला धाम में हर शनिवार को लाखों श्रद्धालु आते हैं। यहां आकर ये श्रद्धालु ॐ शं शनिश्चराय नम: और जय शनि देव का उच्चारण करते हुए परिक्रमा करते हैं। इस मार्ग पर लोग जरूरतमंदों को दान भी करते हैं।
कोकिला वन और शनिदेव की कथा:पौराणिक कथाओं के अनुसार, अपने इष्ट देव भगवान श्रीकृष्ण के दर्शन करने के लिए शनिदेव ने कड़ी तपस्या की थी। उनकी तपस्या से खुश होकर श्रीकृष्ण ने कोयल के रूप में उन्हें दर्शन दिए थे। श्रीकृष्ण ने जिस वन में शनिदेव को दर्शन दिए थे उसी को कोकिला वन नाम से जाना जाता है। बृजमंड में जब श्रीकृष्ण ने जन्म लिया था तब सभी देवी-देवता उनके दर्शन के लिए आए थे। इन सभी में शनिदेव भी मौजू थे। लेकिन मां यशोदा ने उन्हें श्रीकृष्ण के दर्शन करने नहीं दिए थे। उन्हें डर था कि कहीं शनि देव की वक्र दृष्टि श्रीकृष्ण पर ना पड़ जाएं।
शनिदेव इससे बहुत निराश हो गए थे और नंदगांव के पास में ही एक वन में जाकर तपस्या करने लगे थे। श्रीकृष्ण ने उनके तप से प्रसन्न होकर शनिदेव को दर्शन दिए। श्रीकृष्ण ने शनि देव से कहा आप सदैव इसी स्थान पर अपना वास करना। श्रीकृष्ण ने शनिदेव को कोयल के रूप में दर्शन दिए थे इसलिए इस वन को कोकिलावन नाम से जाना जाता है।
Via Veda एक डिजिटल प्लेटफॉर्म है जो आपको धार्मिक सेवाओं का लाभ उठाने का अवसर देता है। इसके माध्यम से आप गौसेवा, चढ़ावा सेवा, अन्नदान, और मंदिरों के पुनर्निर्माण में योगदान दे सकते हैं। साथ ही, आप अनुभवी ज्योतिषियों से परामर्श कर कुंडली, अंक ज्योतिष और वास्तु जैसी सेवाओं का लाभ उठा सकते हैं।
पूजा के दिन मानसिक और शारीरिक शुद्धता का ध्यान रखें, ब्रह्मचर्य का पालन करें और इष्टदेव का स्मरण करें। पूजा की प्रक्रिया के बारे में आपको पहले से सूचित किया जाएगा, और पूजा के बाद इसका रिकॉर्डेड वीडियो आपको भेजा जाएगा।
यदि आपको पूजा से संबंधित अधिक जानकारी चाहिए, तो आप Via Veda के कस्टमर सपोर्ट नंबर +91 98109 86076 पर संपर्क कर सकते हैं। हमारी टीम आपकी हर संभव सहायता के लिए तत्पर है।
Via Veda एक भरोसेमंद मंच है जो आपको घर बैठे पूजा करने का अवसर प्रदान करता है। आपकी पूजा बुकिंग के बाद, योग्य पुजारियों द्वारा शुभ मुहूर्त में अनुष्ठान संपन्न किया जाता है। इसके बाद, आपके दिए गए पते पर प्रसाद और पुजारी जी द्वारा आपके नाम और गोत्र से की गई पूजा का वीडियो आपके रजिस्टर्ड व्हाट्सएप नंबर पर भेजा जाएगा।
पूजा बुक होने के बाद, हमारी टीम 24 घंटों के अंदर आपसे संपर्क करेगी और आपका नाम, गोत्र आदि की जानकारी लेगी। आप टीम से पूजा से जुड़ी अन्य जानकारियाँ भी प्राप्त कर सकते हैं।
ऑफलाइन और ऑनलाइन पूजा की प्रक्रिया में ज्यादा अंतर नहीं है। दोनों में ही पुजारी आपके नाम और गोत्र से अनुष्ठान करते हैं। अंतर यह है कि ऑफलाइन पूजा में आपको स्वयं मंदिर जाना पड़ता है, जबकि ऑनलाइन पूजा में आप घर बैठे यह सुविधा प्राप्त कर सकते हैं। पूजा का रिकॉर्डेड वीडियो आपको बाद में भेज दिया जाएगा।
हाँ, Via Veda द्वारा करवाई गई पूजा के बाद आपको उसका रिकॉर्डेड वीडियो आपके दिए गए व्हाट्सएप नंबर पर भेजा जाएगा।
चढ़ावा सेवा में आप भारत के प्राचीन मंदिरो, शक्तिपीठो में अपने नाम से चढ़ावा/ श्रृंगार/ भोग आदि अर्पित कर सकते है।