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शनि की ढैया, साढ़े साती और महादशा से मुक्ति पाने के लिए इस महापूजा और महाभिषेक में भाग लें।
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4.3
शनि देव की महादशा में अक्सर कई चुनौतियाँ आती हैं, जैसे आर्थिक समस्याएँ, स्वास्थ्य संबंधी बाधाएँ, और पारिवारिक तनाव। महाभिषेक से भक्तों को सकारात्मक परिणाम प्राप्त होते हैं। यह पूजा शनि की महादशा के विपरीत प्रभावों को कम करने में सहायक होती है, जिससे भक्त अपने जीवन में अनुकूल परिवर्तनों का अनुभव कर सकते हैं। इस पूजा के माध्यम से व्यक्ति अपने जीवन में आने वाली कठिनाइयों को पार कर, सफलता के नए आयाम छू सकता है।
साढ़े साती या शनि दोष का प्रभाव व्यक्ति के जीवन को प्रभावित कर सकता है, जिससे मानसिक तनाव और अवसाद उत्पन्न हो सकता है। महाभिषेक का आयोजन इन समस्याओं से छुटकारा दिलाने में सहायक होता है। इस अनुष्ठान के दौरान किए गए विशेष अनुष्ठान से शनि दोष का निवारण होता है, जिससे जीवन में संतुलन और शांति का अनुभव होता है। भक्त इस पूजा के माध्यम से अपने मन में शांति और आत्मविश्वास महसूस करते हैं, जिससे वे अपने जीवन के लक्ष्यों की ओर बेहतर ढंग से अग्रसर हो सकते हैं।
इस अनुष्ठान से भक्तों को स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों से राहत और लंबी आयु का आशीर्वाद प्राप्त होता है। शनि देव की कृपा से व्यक्ति आकस्मिक मृत्यु और रोगों से सुरक्षित रहता है। यह पूजा न केवल शारीरिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देती है, बल्कि मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य में भी सुधार लाती है। भक्त इस पूजा के माध्यम से अपनी बीमारियों से छुटकारा पाकर एक स्वस्थ और सुखमय जीवन जी सकते हैं।
आज की तेज़ रफ्तार जिंदगी में मानसिक तनाव एक आम समस्या बन गई है। श्री शनि शिंगणापुर में महाभिषेक और पूजा से भक्तों को शांति और सकारात्मकता का अनुभव होता है। शनि देव की कृपा से प्राप्त मानसिक संतुलन चिंता और तनाव को दूर करता है, जिससे जीवन में सुख और समृद्धि का प्रवाह होता है। भक्त इस अनुष्ठान के बाद खुद को तरोताजा और ऊर्जा से भरा हुआ महसूस करते हैं, जो उन्हें जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करता है।
परिवार में तनाव और मतभेद अक्सर अशांति का कारण बनते हैं। शनि देव की पूजा से पारिवारिक संबंधों में सुधार होता है और घर में शांति और प्रेम का वातावरण बनता है। इस अनुष्ठान के माध्यम से परिवार के सदस्यों में आपसी समझ और मेलजोल बढ़ता है। जब परिवार के सभी सदस्य मिलकर पूजा करते हैं, तो उनके बीच एकता और प्रेम की भावना मजबूत होती है, जिससे परिवार में सुख-शांति का वास होता है।
श्री शनि शिंगणापुर महाभिषेक एवं विशेष पूजा का आयोजन शनि देव की कृपा प्राप्त करने के लिए अत्यंत प्रभावशाली और महत्वपूर्ण अनुष्ठान माने जाते हैं।शनि देव को हिन्दू धर्म में कर्म और न्याय के देवता के रूप में पूजा जाता है। इसलिए यह आयोजन जीवन में चल रही बाधाओं, शनि दोष, साढ़े साती, और महादशा से मुक्ति दिलाने के साथ जीवन को नई ऊर्जा, शांति, और समृद्धि प्रदान करता है।
शनि शिंगणापुर का महाभिषेक और सरसों का तेल चढ़ाने का अभिषेक, शनि देव की कृपा प्राप्त करने और उनके न्याय के सिद्धांत का पालन करने का एक प्रभावी उपाय है। शनि देव, जो कर्म और न्याय के देवता हैं, उनकी पूजा से व्यक्ति अपने जीवन में अच्छे कर्मों का फल प्राप्त करता है और बुरे कर्मों के प्रभाव से बचता है। यह पूजा जीवन में शांति, स्थिरता, और समृद्धि लाने में मदद करती है, और जीवन की बाधाओं और कठिनाइयों को दूर करती है।
यदि आप अपने जीवन में शनि दोष, साढ़े साती, या महादशा से मुक्ति पाना चाहते हैं और अपने कर्मों का उचित फल प्राप्त करना चाहते हैं, तो वाया वेद द्वारा आयोजित श्री शनि शिंगणापुर महाभिषेक और विशेष पूजा में भाग लेकर शनि देव का आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं।
शनि शिंगणापुर मंदिर केवल एक धार्मिक स्थल नहीं है, बल्कि यह एक ऐसा स्थान है जहाँ लोग अपनी आस्था को सशक्त करते हैं और जीवन की कठिनाइयों से निजात पाते हैं। यहाँ की हर परंपरा, मूर्ति का स्वरूप, और बिना दरवाजों के गाँव की अनोखी मान्यता इसे अद्वितीय बनाती है। यह मंदिर एक आध्यात्मिक केंद्र है जहाँ हर भक्त को शांति, शक्ति, और प्रेरणा मिलती है। शनि देव की कृपा से यहाँ आने वाले भक्त अपने जीवन में उन्नति, समृद्धि, और सुरक्षा का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
मंदिर का महत्व और मान्यता
शनि शिंगणापुर मंदिर, शनि देव की पूजा के लिए विश्व भर में एक प्रमुख स्थल है। यहाँ की मान्यता यह है कि शनि देव न केवल न्याय के देवता हैं, बल्कि कर्मों के अनुसार फल देने वाले देवता भी हैं। यहाँ पर की गई सच्ची श्रद्धा और भक्ति शनि की महादशा, साढ़े साती और शनि दोष से मुक्ति दिलाती है। शनि की प्रतिकूल स्थिति से होने वाले कष्ट, जैसे शारीरिक और मानसिक परेशानियाँ, आर्थिक संकट, दुर्घटनाएँ और अकाल मृत्यु के भय को यहाँ पूजा-अर्चना के माध्यम से कम किया जा सकता है।
मूर्ति का रहस्य और इतिहास
इस मंदिर की विशेषता इसकी अद्वितीय मूर्ति है। लगभग 5 फीट ऊँची और काले पत्थर से बनी शनि देव की यह मूर्ति बिना किसी छत के खुले में स्थापित है। मान्यता है कि यह मूर्ति गाँव के पास प्रवाहित हो रही एक नदी से मिली थी, और शनि देव ने एक स्वप्न के माध्यम से गाँववासियों को इसे यहाँ स्थापित करने का आदेश दिया। यह मूर्ति सीधे धरती पर विराजमान है और यहाँ कोई गर्भगृह नहीं है, जो इसे अन्य शनि मंदिरों से भिन्न बनाती है।
खास पूजा विधि और महाभिषेक
शनि शिंगणापुर मंदिर में पूजा-अर्चना का तरीका विशिष्ट है। शनि देव की मूर्ति पर सरसों का तेल अर्पित किया जाता है, जो शनि देव को प्रसन्न करने का एक महत्वपूर्ण तरीका माना जाता है। यह भी माना जाता है कि सरसों का तेल शनि देव के क्रोध को शांत करता है। यहाँ पर हर शनिवार, विशेषकर अमावस्या के दिन, भक्त विशेष पूजा करते हैं और “महाभिषेक” अनुष्ठान किया जाता है। इस महाभिषेक में शनि देव को जल, दूध, दही, शहद और घी से स्नान कराया जाता है। यह अनुष्ठान विशेष रूप से उन भक्तों के लिए किया जाता है, जो शनि दोष से पीड़ित होते हैं।
गाँव की अनोखी परंपरा: बिना दरवाजों के घर
शिंगणापुर गाँव की एक और अनूठी विशेषता यह है कि यहाँ के घरों में कोई दरवाजे नहीं होते। यह गाँव दरवाजों के बिना ही सुरक्षा के लिए प्रसिद्ध है। मान्यता है कि शनि देव की कृपा से यहाँ कभी चोरी नहीं होती। यहाँ के निवासियों का विश्वास है कि शनि देव स्वयं गाँव की सुरक्षा करते हैं और अगर कोई बुरी नीयत से कोई कार्य करता है तो उसे तुरंत दंड मिलता है।
मामा-भांजा की लोककथा
शनि शिंगणापुर मंदिर से जुड़ी एक लोकप्रिय लोककथा “मामा-भांजा” के रिश्ते पर आधारित है। मान्यता है कि इस मंदिर में जो भक्त मामा-भांजा के रिश्ते में यहाँ पूजा करते हैं, उन्हें शनि देव की विशेष कृपा प्राप्त होती है। इस परंपरा के अनुसार, अगर मामा अपने भांजे के साथ इस मंदिर में दर्शन करता है तो उनके बीच का आपसी संबंध और भी प्रगाढ़ होता है। यह कथा गाँव के धार्मिक और सांस्कृतिक जीवन का एक अहम हिस्सा है और यहाँ के रीति-रिवाजों में गहरी जड़ें रखती है।
भक्तों का अटूट विश्वास और चमत्कार
इस मंदिर से जुड़ी कई चमत्कारी घटनाएँ भी प्रचलित हैं। यह मान्यता है कि यहाँ पर जो भक्त सच्चे मन से प्रार्थना करता है, उसकी हर मनोकामना पूर्ण होती है। शनि की महादशा, साढ़े साती, या शनि दोष से पीड़ित लोग यहाँ आकर अपने कष्टों से मुक्ति पाते हैं। यहाँ के चमत्कारों से प्रभावित होकर देश-विदेश से लोग हर शनिवार यहाँ आते हैं। अमावस्या के दिन विशेष अनुष्ठान और हवन का आयोजन किया जाता है, जिसमें शनि से जुड़ी समस्याओं से निजात पाने के लिए हजारों भक्त भाग लेते हैं।
भौगोलिक संरचना और यात्रा का अनुभव
शनि शिंगणापुर मंदिर तक पहुँचने का मार्ग भी अत्यंत सुगम है। अहमदनगर और शिर्डी के नजदीक होने के कारण, शनि शिंगणापुर जाने वाले श्रद्धालुओं के लिए यहाँ की यात्रा बेहद सुविधाजनक होती है। यह स्थान चारों ओर से प्राकृतिक सौंदर्य से घिरा है, जो भक्तों के धार्मिक अनुभव को और भी प्रेरणादायक बनाता है। मंदिर परिसर में भक्तों के लिए कई सुविधाएँ उपलब्ध हैं, जिसमें भोजन, रुकने के लिए धर्मशालाएँ और पूजा सामग्री की दुकानों की भरमार है।
अनुष्ठान और उपाय
मंदिर में किए जाने वाले अनुष्ठान शनि दोष से मुक्ति दिलाने के लिए अत्यंत प्रभावशाली माने जाते हैं। भक्त यहाँ पर शनिवार के दिन विशेष अनुष्ठानों में भाग लेते हैं, जिसमें काले तिल, काले कपड़े और सरसों का तेल अर्पित करना शामिल है। इसके अलावा, यहाँ की जाने वाली पूजा के साथ-साथ शनि देव को प्रसन्न करने के लिए “शनि की आरती” और “शनि चालीसा” का पाठ भी किया जाता है। माना जाता है कि इन उपायों से जीवन में चल रही बाधाओं का समाधान मिलता है।
Via Veda एक डिजिटल प्लेटफॉर्म है जो आपको धार्मिक सेवाओं का लाभ उठाने का अवसर देता है। इसके माध्यम से आप गौसेवा, अन्नदान, और मंदिरों के पुनर्निर्माण में योगदान दे सकते हैं। साथ ही, आप अनुभवी ज्योतिषियों से परामर्श कर कुंडली, अंक ज्योतिष और वास्तु जैसी सेवाओं का लाभ उठा सकते हैं।
पूजा के दिन मानसिक और शारीरिक शुद्धता का ध्यान रखें, ब्रह्मचर्य का पालन करें और इष्टदेव का स्मरण करें। पूजा की प्रक्रिया के बारे में आपको पहले से सूचित किया जाएगा, और पूजा के बाद इसका रिकॉर्डेड वीडियो आपको भेजा जाएगा।
यदि आपको पूजा से संबंधित अधिक जानकारी चाहिए, तो आप Via Veda के कस्टमर सपोर्ट नंबर +91 98109 86076 पर संपर्क कर सकते हैं। हमारी टीम आपकी हर संभव सहायता के लिए तत्पर है।
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पूजा बुक होने के बाद, हमारी टीम 24 घंटों के अंदर आपसे संपर्क करेगी और आपका नाम, गोत्र आदि की जानकारी लेगी। आप टीम से पूजा से जुड़ी अन्य जानकारियाँ भी प्राप्त कर सकते हैं।
ऑफलाइन और ऑनलाइन पूजा की प्रक्रिया में ज्यादा अंतर नहीं है। दोनों में ही पुजारी आपके नाम और गोत्र से अनुष्ठान करते हैं। अंतर यह है कि ऑफलाइन पूजा में आपको स्वयं मंदिर जाना पड़ता है, जबकि ऑनलाइन पूजा में आप घर बैठे यह सुविधा प्राप्त कर सकते हैं। पूजा का रिकॉर्डेड वीडियो आपको बाद में भेज दिया जाएगा।
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