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पूजा और प्रसाद डिलिवरी
शनि ग्रह की अशुभ दृष्टि जीवन में रुकावटें, निराशा और असफलता लाती है। यह पूजा शनि के प्रकोप को शांत कर साढ़ेसाती और ढैया के नकारात्मक प्रभावों को समाप्त करती है। पूजा के बाद जीवन में सकारात्मक बदलाव आते हैं, और लंबे समय से चल रही असफलताएं और बाधाएं दूर होती हैं। यह पूजा आपके जीवन को सही दिशा में आगे बढ़ाने का माध्यम बनती है।
धन की तंगी, कर्ज का बोझ, और खर्चों की अधिकता से जूझ रहे लोगों के लिए यह पूजा वरदान साबित होती है। शनि के अशुभ प्रभाव को शांत कर यह पूजा आर्थिक प्रवाह को सुगम बनाती है। पूजा के बाद व्यापार में वृद्धि, नौकरी में प्रमोशन और निवेश से लाभ मिलने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं। यह पूजा आपको आर्थिक स्थिरता और आत्मविश्वास देती है।
यदि आप करियर में रुकावटें या व्यापार में घाटे से परेशान हैं तो यह पूजा आपकी मेहनत को सही परिणाम में बदलने की शक्ति रखती है। शनि देव की कृपा से नौकरी में प्रमोशन, नई परियोजनाओं की स्वीकृति, और व्यापार में विस्तार के अवसर मिलते हैं। यह पूजा आपको करियर और व्यवसाय में तेजी से आगे बढ़ने में मदद करती है।
शनि देव आपके कर्मों का सटीक फल देते हैं। यह पूजा न केवल अशुभ कर्मों के प्रभाव को कम करती है, बल्कि शुभ परिणामों को बढ़ाती है। यह पूजा आपको बेहतर निर्णय लेने और सही दिशा में कार्य करने की प्रेरणा देती है। इसके परिणामस्वरूप, आप अपने जीवन में सकारात्मक बदलाव और निरंतर सफलता का अनुभव करते हैं।
शनि देव, जिन्हें “कर्मफलदाता” और “न्यायाधीश” कहा जाता है, जीवन में कर्मों के आधार पर शुभ और अशुभ फल प्रदान करते हैं। जब कुंडली में शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या का प्रभाव होता है, तो जीवन में संघर्ष, आर्थिक अस्थिरता, मानसिक तनाव, और बाधाओं का सामना करना पड़ता है। इस स्थिति में भगवान शनि का आशीर्वाद प्राप्त करने और उनके प्रकोप को शांत करने का सबसे प्रभावी उपाय है शनि साढ़ेसाती और ढैय्या शांति पूजा।
काशी के पवित्र शनि ग्रह संसद मंदिर में इस पूजा का आयोजन किया जाता है। यह मंदिर भगवान शनि देव की न्यायकारी शक्ति और नवग्रहों के समन्वय का केंद्र है, जहां पूजा-अर्चना के माध्यम से भक्तों को जीवन में स्थिरता और सकारात्मकता प्राप्त होती है।
पूजा की विधि और प्रक्रिया
पूजा की शुरुआत भक्त के नाम और गोत्र के साथ संकल्प लेकर की जाती है। यह प्रक्रिया शनि देव को आपकी समस्याओं के समाधान के लिए समर्पण और आशीर्वाद का आह्वान है।
भगवान शनि की मूर्ति पर सरसों का तेल और काले तिल चढ़ाए जाते हैं। यह अनुष्ठान जीवन में नकारात्मकता को दूर करता है और शनि देव को प्रसन्न करता है।
पूजा के दौरान दशरथकृत शनि स्तोत्र और अन्य वैदिक मंत्रों का उच्चारण किया जाता है। इन मंत्रों का प्रभाव शनि देव की कृपा को आकर्षित करता है और जीवन की बाधाओं को समाप्त करता है।
पूजा में 40 दीप जलाने की परंपरा है, जो शनि देव के प्रति भक्त की श्रद्धा और आशीर्वाद प्राप्ति का प्रतीक है। यह प्रक्रिया जीवन में शुभता और सकारात्मक ऊर्जा का संचार करती है।
क्यों काशी का शनि ग्रह संसद मंदिर?
शनि ग्रह संसद मंदिर, जहां नवग्रहों की उपस्थिति भगवान शनि देव की न्यायकारी शक्ति को समर्पित है, शनि से जुड़ी हर समस्या के समाधान के लिए आदर्श स्थल है। यह पूजा मंदिर की दिव्यता और शनि देव के न्यायकारी स्वरूप का आह्वान करते हुए भक्तों को उनकी समस्याओं से मुक्ति दिलाती है।
वाया वेदा के माध्यम से पूजा में भाग लें
निष्कर्ष
काशी के शनि ग्रह संसद मंदिर में आयोजित शनि साढ़ेसाती और ढैय्या शांति पूजा न केवल शनि देव के प्रकोप को शांत करती है, बल्कि जीवन में शांति, स्थिरता और समृद्धि का मार्ग भी प्रशस्त करती है। यह पूजा आपके जीवन में नकारात्मकता को समाप्त कर सफलता और सकारात्मक ऊर्जा का द्वार खोलती है।
आज ही वाया वेदा के माध्यम से इस पूजा में भाग लें और भगवान शनि देव की कृपा से अपने जीवन को नई दिशा दें।
काशी, जिसे वाराणसी के नाम से जाना जाता है, भारतीय धार्मिक और आध्यात्मिकता का सबसे प्राचीन केंद्र है। इसी पवित्र भूमि पर स्थित है न्यायाधीश शनि का ग्रह संसद मंदिर, जो भगवान शनि देव के न्यायकारी और शक्तिशाली स्वरूप को समर्पित है।
शनि ग्रह संसद
यह मंदिर सैकड़ों साल पुराना है और इसकी खास बात यह है कि यहां शनि देव के साथ-साथ नवग्रहों—चंद्रमा, मंगल, गुरु, सूर्य, शुक्र, बुध, राहु और केतु—की पूजा होती है। इन ग्रहों की उपस्थिति इसे “ग्रह संसद” का स्वरूप देती है, जहां शनि देव के मार्गदर्शन में नवग्रहों का संतुलन और नियंत्रण किया जाता है।
मंदिर का महत्व उन भक्तों के लिए विशेष है, जो शनि की साढ़ेसाती, ढैय्या, या कुंडली दोषों से परेशान हैं। यहां की पूजा पद्धति और अनुष्ठान न केवल ग्रहों के अशुभ प्रभावों को शांत करते हैं, बल्कि जीवन में स्थिरता, शांति और समृद्धि लाने का माध्यम बनते हैं।
मंदिर की परंपरा
यहां की परंपरा के अनुसार, 40 दीपदान करने से भक्तों की हर मनोकामना पूर्ण होती है और जीवन की बाधाएं समाप्त हो जाती हैं। मंदिर का वातावरण दिव्यता और सकारात्मक ऊर्जा से भरपूर है, जो मानसिक शांति और आध्यात्मिक बल प्रदान करता है।
काशी का यह प्राचीन शनि मंदिर धार्मिक, ज्योतिषीय और आध्यात्मिक दृष्टि से अद्वितीय है और इसे न्याय, शक्ति और समाधान का केंद्र माना जाता है।
Via Veda एक डिजिटल प्लेटफॉर्म है जो आपको धार्मिक सेवाओं का लाभ उठाने का अवसर देता है। इसके माध्यम से आप गौसेवा, चढ़ावा सेवा, अन्नदान, और मंदिरों के पुनर्निर्माण में योगदान दे सकते हैं। साथ ही, आप अनुभवी ज्योतिषियों से परामर्श कर कुंडली, अंक ज्योतिष और वास्तु जैसी सेवाओं का लाभ उठा सकते हैं।
पूजा के दिन मानसिक और शारीरिक शुद्धता का ध्यान रखें, ब्रह्मचर्य का पालन करें और इष्टदेव का स्मरण करें। पूजा की प्रक्रिया के बारे में आपको पहले से सूचित किया जाएगा, और पूजा के बाद इसका रिकॉर्डेड वीडियो आपको भेजा जाएगा।
यदि आपको पूजा से संबंधित अधिक जानकारी चाहिए, तो आप Via Veda के कस्टमर सपोर्ट नंबर +91 98109 86076 पर संपर्क कर सकते हैं। हमारी टीम आपकी हर संभव सहायता के लिए तत्पर है।
Via Veda एक भरोसेमंद मंच है जो आपको घर बैठे पूजा करने का अवसर प्रदान करता है। आपकी पूजा बुकिंग के बाद, योग्य पुजारियों द्वारा शुभ मुहूर्त में अनुष्ठान संपन्न किया जाता है। इसके बाद, आपके दिए गए पते पर प्रसाद और पुजारी जी द्वारा आपके नाम और गोत्र से की गई पूजा का वीडियो आपके रजिस्टर्ड व्हाट्सएप नंबर पर भेजा जाएगा।
पूजा बुक होने के बाद, हमारी टीम 24 घंटों के अंदर आपसे संपर्क करेगी और आपका नाम, गोत्र आदि की जानकारी लेगी। आप टीम से पूजा से जुड़ी अन्य जानकारियाँ भी प्राप्त कर सकते हैं।
ऑफलाइन और ऑनलाइन पूजा की प्रक्रिया में ज्यादा अंतर नहीं है। दोनों में ही पुजारी आपके नाम और गोत्र से अनुष्ठान करते हैं। अंतर यह है कि ऑफलाइन पूजा में आपको स्वयं मंदिर जाना पड़ता है, जबकि ऑनलाइन पूजा में आप घर बैठे यह सुविधा प्राप्त कर सकते हैं। पूजा का रिकॉर्डेड वीडियो आपको बाद में भेज दिया जाएगा।
हाँ, Via Veda द्वारा करवाई गई पूजा के बाद आपको उसका रिकॉर्डेड वीडियो आपके दिए गए व्हाट्सएप नंबर पर भेजा जाएगा।
चढ़ावा सेवा में आप भारत के प्राचीन मंदिरो, शक्तिपीठो में अपने नाम से चढ़ावा/ श्रृंगार/ भोग आदि अर्पित कर सकते है।